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असामान्य व्यवहार के जैविक कारण ( Biological Factors of Abnormal Behavior )

असामान्य व्यवहार के कई सारे कारण होते हैं। जिसमें से जैविक कारण महत्वपूर्ण है। जैविक कारणों से तात्पर्य उन सभी कारणों से होता है जो जन्म से पहले या उससे पहले से ही व्यक्ति में डायरेक्ट इनडायरेक्ट रूप से मौजूद होते हैं और बाद में एब्नार्मल बिहेवियर की उत्पत्ति में किसी ना किसी तरह से मदद करते हैं। जैविक कारकों का ऐसा स्वरूप होता है कि वह पर्सनैलिटी के सभी पहलुओं पर अपना असर डालता है इसलिए इन सभी कारणों का सामान्य एवं असामान्य व्यवहार की उत्पत्ति में एक बहुत खास महत्व होता है इस फील्ड में स्टडी करने से यह पता चला है कि मैं मेलअडेप्टिव बिहेवियर की उत्पत्ति तथा विकास में मुख्य जैविक कारकों की भूमिका होती है जोकि निम्नलिखित है:-


  1. आनुवंशिक कारक यानी जेनेटिक डिफेक्ट्स या जेनेटिक फैक्टर्स

  2. संगठनात्मक कारक यानी कांस्टीट्यूशनल फैक्टर

  3. जैविक रासायनिक कारण यानी के बायोकेमिकल फैक्टर

  4. मस्तिष्क की शिथिलता यानी कि ब्रेन डिस्फंक्शन



  1. आनुवंशिक कारक यानी जेनेटिक डिफेक्ट्स या जेनेटिक फैक्टर्स



इनहेरिटेंस की शुरुआत तब होती है जब महिला का एग सेल पुरुष के स्पर्म सेल से मिलकर गर्भित होता है और उसमें बनने वाला एम्ब्रयाओ यानी कि भ्रूण को एक आनुवंशिक कोड जिसे अंग्रेजी में जेनेटिक कोड कहते हैं वह प्राप्त हुआ होता है जो पूरे जीवन काल में व्यक्ति के व्यवहार को नियमित एवं विकसित करता है। मानव व्यवहार पर इस अनुवांशिक कोड का सीधा प्रभाव पड़ता है । इसलिए इसमें किसी प्रकार के दोष से यह स्वभाविक है कि व्यक्ति के व्यवहार में अब नॉर्मल इटी पैदा हो जाए। इसके तहत आने वाले दोषो को जिनसे व्यक्ति में असामान्य व्यवहार उत्पन्न होता है निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया जा सकता है -


  1. क्रोमोजोमल एबनॉर्मलिटीज

  2. फौल्टी जींस यानी दोषपूर्ण जींस


क्रोमोजोमल एबनॉर्मलिटीज:- आनुवंशिकी यानी कि जेनेटिक्स के क्षेत्र में की गई रिसर्च से यह साफ हुआ है की गुणसूत्र की संख्या या उसकी संरचना जाने के स्ट्रक्चर में एब्नार्मेलिटी होने से तरह-तरह के मानसिक विकृति या फिर असामान्य व्यवहार की पैदाइश होती है।


फौल्टी जींस यानी दोषपूर्ण जींस:- एब्नार्मल बिहेवियर की उत्पत्ति में जींस की भूमिका डायरेक्ट ना होकर इनडायरेक्ट होती है क्योंकि मनुष्य का कोई भी व्यवहार सिर्फ जींस द्वारा प्रभावित ना होकर एनवायरमेंट के द्वारा भी प्रभावित होता है। आजकल इस एरिया में ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई फॉल्टी जीन जिसमें एक या दो जींस मिल जाते हैं वह आपस में मिलकर इंटरेक्शन करते हैं तो इससे मनुष्य के ब्रेन केमिस्ट्री में गड़बड़ी पैदा होती है इस कारण से व्यक्ति का व्यवहार असामान्य हो जाता है। कुछ ऐसे भी कैसे मिले हैं जिम में असामान्य व्यवहार के कारणों में से दोषपूर्ण जींस को मुख्य कारण नहीं माना गया है इस चीज को नजरअंदाज किया गया है कि दोषपूर्ण जींस की भूमिका असामान्य व्यवहार में होती है।



2) संगठनात्मक कारक यानी कांस्टीट्यूशनल फैक्टर


साइक्लोजेस्ट साइकेट्रिस्ट अन्य वैज्ञानिकों द्वारा इस एरिया में की गई रिसर्च से यह साफ हुआ है कि एब्नार्मल बिहेवियर का कारण शारीरिक भी होता है कुछ विशेष एवं दोष को शारीरिक या शरीर घटनात्मक कारकों से असामान्य व्यवहार की उत्पत्ति होती पाई गई है। प्रमुख शरीर घटनात्मक कारण जिन से असामान्य व्यवहार की उत्पत्ति होती है उन को तीन भागों में बांटा जा सकता है जिसमें से पहला है शरीर गठन जाने के इंसान की डीलडोल दूसरा है शारीरिक विकलांगता तीसरा है प्राइमरी रिएक्शन टेंडेंसी यानी प्राथमिक प्रतिक्रिया प्रवृत्ति।




  1. जैविक रासायनिक कारण यानी के बायोकेमिकल फैक्टर



व्यक्ति में असामान्य व्यवहार होने का कारण उसके शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन हो सकता है या फिर पोस्टिक आहार की कमी हो सकता है इसके अलावा हारमोंस गड़बड़ी से भी असामान्य व्यवहार की उत्पत्ति हो सकती है।

हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण केमिकल एलिमेंट होता है जो नर्वस सिस्टम की फंक्शनैलिटी में मदद करता है या फिर इसे होने से रोकता है ऐसा ही एक एलिमेंट है जिसे एसटीकोलाइन कहा जाता है। अनेक विशेषज्ञों ने यह साबित किया है कि अगर सेरेब्रस्पिनल फ्लूइड में एसटीकोलाइन की मात्रा का स्तर अगर सामान्य नहीं होता है तो व्यक्ति में convulsion पैदा होता है.


असामान्य व्यवहार की उत्पत्ति में दो तरह के केमिकल एलिमेंट्स को काफी महत्वपूर्ण माना गया है इनमें कैटिकोलामाइंस और एंडोरोमन ग्रुप के केमिकल एलिमेंट शामिल है। कैटिकोलामाइंस ग्रुप में दो प्रमुख केमिकल एलिमेंट्स हैं जिन्हें नोरएपिनेफ्रीन अथवा नोराड्रेनलिन एवं डोपामाइन के नाम से जाना जाता है. इसी तरह से एंड्रो लामाइन ग्रुप में भी सेरोटोनिन केमिकल एलिमेंट का उदाहरण है.



असामान्य व्यवहार का संबंध पोस्टिक आहार की कमी से भी जुड़ा हुआ है. रिसर्च में यह साफ हुआ है कि spinal cord तथा peripheral nerves के कार्य व्यक्ति के द्वारा लिए गए पोस्टिक आहार पर निर्भर रहते हैं और अपनी work efficiency बनाए रखते हैं. जब शैशवावस्था यानी कि इन्फैंसी पीरियड में या हम इसे चाइल्डहुड बचपन अवस्था भी कह सकते हैं इस अवस्था में जब मस्तिष्क को पोस्टिक आहार की कमी के कारण उचित न्यूट्रीशन नहीं मिल पाता है तो उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास दोनों ही रुक जाते हैं। कुछ रिसर्च में यह भी निकल कर सामने आया है कि पोस्टिक आहार की कमी के कारण बच्चे उदासी में रहते हैं और अपने एनवायरमेंट की चीजों में कोई रुचि नहीं दिखाते हैं और रिसर्च में यह भी निकल कर सामने आया है कि पोस्टिक आहार सही मात्रा में नहीं मिलने पर बच्चों में मानसिक दुर्बलता भी आ जाती है।


कुछ ऐसी भी रिसर्च हुई है जिनमें खासतौर से खनिज पदार्थ और विटामिन की कमी से भी असामान्य व्यवहार देखे गए हैं। रिसर्च में यह भी देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं के भोजन में मैगनीज की कमी से उनके बच्चों में शारीरिक विकृति तो आती ही है उसके साथ उन्हें तरह-तरह के साइक्लोजिकल डिस्टरबेंसस भी होते हैं। इसी के साथ-साथ विटामिन की कमी से भी मानसिक रोग होते देखे गए हैं जैसे थियामाइन या विटामिन बी की कमी होने से तरह-तरह के न्यूरोलॉजिकल बदलाव और ब्लड सरकुलेशन रिलेटेड डिसऑर्डर्स देखे गए हैं। इसकी कमी से व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है उसे नींद कम आती है और भूख भी काफी कम लगती है इसी के साथ साथ थकान भी बहुत ज्यादा महसूस होती है। मानसिक रूप से ऐसे व्यक्ति किसी एक खास चीज पर कंसंट्रेट नहीं कर पाते हैं और उनकी मानसिक शक्ति इतनी कम हो जाती है कि तुरंत की घटनाओं के बारे में भी भूल जाते हैं। बहुत ज्यादा मात्रा में थे आमीन की कमी होने से व्यक्ति में एक क्यूट डिप्रेशन कन्फ्यूजन डिस्टोर्ट थिंकिंग और होलोजिनेशन भी होने लगते हैं. विटामिन बी की कमी से सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी मनोज होता है क्षति पहुंचती है और कई तरह की न्यूरोलॉजिकल एवं साइक्लोजिकल डिसऑर्डर उत्पन्न हो जाते हैं।


हारमोंस और एब्नार्मल बिहेवियर के बीच भी संबंध पाया जाता है। हमारे शरीर के अंदर कुछ एंड क्वीन ज्ञान है जिन से निकलने वाले पदार्थ को हारमोंस कहा जाता है पुलिस स्टोर हारमोंस खून में जाकर सीधे मिलते हैं और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट एवं ह्यूमन बिहेवियर पर सीधा असर डालते हैं. साइकोलॉजिस्टस के पास इस तरह के काफी एविडेंसेस है कि हार्मोन एब्नार्मल बेहेवियर की उत्पत्ति में एक खास भूमिका निभाते हैं.



4 ) मस्तिष्क की शिथिलता यानी कि ब्रेन डिस्फंक्शन



कई बार फिजिकल डैमेज के कारन मस्तिष्क में शिथिलता आ जाती है मनुष्य के ब्रेन की फंक्शनैलिटी पर इसका प्रभाव पड़ता है। फिजिकल डैमेज से ब्रेन टिशु की नॉरमल फंक्शनिंग में बाधा पहुंचती है और व्यक्ति में कई तरह के असामान्य लक्षण दिखाई देने लगते हैं। फिजिकल डैमेज का कारण फिर मस्तिष्क में चोट लगना ब्रेन इंजरी,इंफेक्शन, इंटॉक्सिकेशन, बुढ़ापा या ब्रेन ट्यूमर प्रमुख कारण है।






नोट- प्रस्तुत लेख का संबंध हिल माय हार्ट से नहीं है यह लेखक के स्वयं के विचार हैं.


साइकोलॉजिकल काउंसलिंग एवं मनोवैज्ञानिक थेरेपी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं.

धन्यवाद.



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